सौर ज्वालाएँ कैसे बनती हैं?
1. भूमिका: सूर्य और उसकी अशांत सतह
सूर्य कोई शांत, इकसूँघा गोला
नहीं है; यह एक जीवंत, चुंबकीय डायनेमो है जहाँ प्लाज़्मा निरंतर उबलता रहता है। इसी
खौलते प्लाज़्मा और जटिल चुंबकीय क्षेत्रों की अंतर्क्रिया से सौर ज्वालाएँ—Solar Flares—जन्म
लेती हैं, जो सेकंडों में अरबों मेगाटन TNT के बराबर ऊर्जा छोड़ सकती हैं।
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| सौर ज्वाला — सूर्य की सतह पर होने वाला ऊर्जा का तीव्र विस्फोट, जो सौर तूफ़ानों और पृथ्वी पर प्रभाव की शुरुआत कर सकता है। |
2. सूर्य की संरचना का त्वरित पुनरावलोकन
|
परत |
मोटाई |
तापमान
(औसत) |
|
नाभिक |
~1.5 × 10⁵ km |
15 मिलियन K |
|
विकिरण
क्षेत्र |
300–400 हज़ार km |
2 मिलियन K |
|
संवहन
क्षेत्र |
~200 हज़ार km |
2 मिलियन K
→
5,800 K |
|
फोटोस्फ़ियर |
~500 km |
5,800 K |
|
क्रोमोस्फ़ियर |
2,000–3,000 km |
4,000 K
→
25,000 K |
|
कोरोन |
लाखों km |
1–2 मिलियन K |
सौर ज्वालाओं का खेल फोटोस्फ़ियर
से ऊपर—क्रोमोस्फ़ियर और कोरोना—में अधिकतर घटित होता है, जहाँ चुंबकीय क्षेत्र
रेखाएँ एक-दूसरे से उलझकर ऊर्जा जमा करती हैं।
3. चुम्बकीय पृथुता: जड़ है सनस्पॉट्स
·
सनस्पॉट (Sunspot):
काले धब्बे। फोटोस्फ़ियर के अपेक्षाकृत ठंडे होते है ,इनका तापमान
4000 Kelvin
केल्विन याने 3727°C डिग्री सेल्सियस होता है।
·
सनस्पॉट द्विपोल (Bipolar) समूहों में आते हैं;
एक ध्रुवीयता ‘उत्तर’ तो दूसरी ‘दक्षिण’ जैसी।
·
इनके आसपास का चुंबकीय क्षेत्र सामान्य सतह से
हज़ार गुना प्रबल हो सकता है।
·
दो सनस्पॉट्स के बीच खिंची चुंबकीय रेखाएँ वक़्त
के साथ मुड़‑मरोड़ कर ट्विस्टेड लूप्स बना लेती हैं—यही तनाव आगे चलकर विस्फोट
में तब्दील होता है।
4. चरण‑दर‑चरण बनावट:
“चुंबकीय पुनर्संयोजन”
1. ऊर्जा संचय (Flux Emergence):
·
गहरे संवहन क्षेत्र से चुंबकीय फ्लक्स ट्यूब्स
ऊपर उठते हैं।
·
फोटोस्फ़ियर पर सनस्पॉट्स दिखाई देते हैं; लूप्स
कोरोना तक फैलते हैं।
2. ट्विस्टिंग और ब्रेडिंग:
·
अंतरनिहित प्लाज़्मा धाराएँ (डिफ़रेंशियल रोटेशन,
मेरिडियोनल फ्लो) चुंबकीय रेखाओं को मोड़ती‑कसती रहती हैं।
·
चुंबकीय तनाव (Magnetic Shear) बढ़ता है—रबर‑बैंड
को खींचने जैसा।
3. चुंबकीय पुनर्संयोजन (Magnetic Reconnection):
·
जब उलझी हुई विरोधी ध्रुवीय रेखाएँ एक‑दूसरे
को छू लेती हैं, वे “तह” कर टूट जाती हैं और नई संयोजन बनाती हैं।
·
इस पल में विद्युत्‑चालित कण 0.1–0.2 c
(सिस्पीड) तक तेज़ हो सकते हैं।
·
जमा‑पूंजी ऊर्जा रेडियो, एक्स‑रे व गामा‑किरण
के रूप में मुक्त होती है—यही सौर ज्वाला है।
4. टोकन रिलीज़ (Post‑Flare Loops):
·
नया चुंबकीय ढाँचा स्थिर हो जाता है।
·
दृश्य रूप से चमकदार लूप्स और ऑर्केड (flare arcades)
कई घंटे दमकते रहते हैं।
संक्षिप्त सूत्र: सनस्पॉट
→ चुंबकीय
तनाव → पुनर्संयोजन
→ ऊर्जा
विस्फोट = सौर ज्वाला
5. वर्गीकरण: A, B, C, M, X—भूकंपी
पैमाने जैसा
NOAA GOES
सैटेलाइट 1–8 Å (Soft X‑ray) में फ्लक्स मापता है।
- A (<10⁻⁷ W/m²)
- B (<10⁻⁶ W/m²)
- C (<10⁻⁵ W/m²)
- M (<10⁻⁴ W/m²) →
मध्यम (धरती के आयनोस्फ़ियर
पर असर)
- X (≥10⁻⁴ W/m²) →
विशाल (ब्लैकआउट, रेडियो स्टॉर्म)
प्रत्येक स्तर में॰0‑9 उप‑वर्ग
(जैसे X9) जिससे तीव्रता सूचित होती है।
6. सौर ज्वालाएँ VS कोरोनल मास इजेक्शन (CME)
|
दोनों घटनाओं का मूल चुंबकीय
पुनर्संयोजन ही है; अंतर सिर्फ़ यह है कि CME में
कोरोना का विशाल प्लाज़्मा बुलबुला अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में फेंका जाता है।
7. धरती पर प्रभाव: स्पेस वेदर और हम
1. जीपीएस और रेडियो ब्लैकआउट:
उच्च‑आवृत्ति (HF) रेडियो तरंगें आयनोस्फ़ियर बदलने से बाधित।2. सैटेलाइट ड्रेग:
ऊपरी वायुमंडल गर्म होकर फैलता है; कक्षा घटने से सैटेलाइट धीमे‑धीमे नीचे आते हैं।3. विद्युत् ग्रिड्स:
प्रेरित करंट (GIC) ट्रांसफ़ॉर्मर जला सकते हैं, जैसा 1989 क्यूबेक ब्लैकआउट।4. अंतरिक्ष यात्रियों का विकिरण जोखिम:
ISS पर कर्मियों को शेल्टर‑इन‑प्लेस प्रोटोकॉल।5. ऑरोरा का नज़ारा:
तूफ़ानी रातों में ध्रुवीय रोशनी उप‑ध्रुवीय अक्षांशों तक फैल जाती है—कभी‑कभी कश्मीर या उत्तरी अमेरिका के न्यूयॉर्क तक।8. अवलोकन और अनुसंधान
उपकरण
- Parker Solar Probe
(2018‑): 9 Rs तक पहुँचकर इन‑सिटू माप।
- Solar Orbiter
(ESA/NASA, 2020‑): हाई‑रिज़ॉल्यूशन इमेजरी।
- SDO (AIA/HMI), RHESSI, Hinode,
GOES: बहु‑तरंगदैर्घ्य मॉनीटरिंग।
- नेहरू प्लैनेटेरियम, Udaipur
Solar Observatory: भारत के ज़मीनी यंत्र।
ये मिशन चुंबकीय पुनर्संयोजन और ऊर्जा कण त्वरितीकरण की अबाध रेकॉर्डिंग से हमारे मॉडल अधिक सटीक बनाते हैं।
9. हालिया प्रमुख घटनाएँ
|
तारीख |
वर्ग |
ख़ास
बात |
|
13 दिसंबर 2024 |
X2.8 |
वर्तमान
सौर चक्र 25 की अब तक की सबसे तीव्र ज्वाला;
HF ब्लैकआउट (अंटार्कटिका) |
|
14 फ़रवरी 2025 |
M6.3 |
उपग्रह Starlink
के 18 यूनिट्स लॉस्ट |
10. विज्ञान के सवाल अभी भी बचे हैं
- ऊर्जा रूपांतरण की दक्षता:
क्या हम सूक्ष्म पैमानों पर पार्टिकल‑इन‑सेल सिमुलेशन से भविष्यवाणी सुधार सकते
हैं?
- पूर्व‑अलार्म समय:
30 मिनट
पहले चेतावनी पर्याप्त नहीं; AI‑आधारित डेटासेट से पैटर्न पहचान?
- सुपरफ्लेयर जोखिम:
क्या हमारा सूर्य 10²⁶ J वाले
‘सुपरफ्लेयर’ उत्पन्न कर सकता है, जैसा कुछ केपलर‑सितारों में देखा गया?
11. निष्कर्ष: एक चेतावनी और एक रोमांच
सौर ज्वालाएँ
हमें सूर्य की शक्ति और हमारी तकनीकी निर्भरता, दोनों की याद दिलाती हैं। जैसे‑जैसे
हम 11‑वर्षीय सौर चक्र के चरम (Solar Max ≈ 2025‑26)
के करीब पहुँच रहे हैं, अंतरिक्ष मौसम मानव
सभ्यता के लिए उतना ही अहम साबित होगा जितना सामान्य मौसम का पूर्वानुमान।
📌 सामान्य प्रश्न (FAQ):
❓Q1. सौर ज्वालाएँ क्या होती हैं?
सौर ज्वालाएँ
सूर्य की सतह के ऊपर होने वाले तीव्र चुंबकीय विस्फोट होते हैं, जिनमें बहुत अधिक मात्रा
में ऊर्जा, प्रकाश और कण उत्सर्जित होते हैं। ये घटना मुख्य रूप से सनस्पॉट के आसपास
की चुंबकीय रेखाओं के मुड़ने और पुनर्संयोजन से होती है।
❓Q2. सौर ज्वालाएँ कैसे बनती हैं?
सौर ज्वालाएँ तब बनती हैं जब सूर्य की सतह पर स्थित सनस्पॉट्स के बीच चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ बहुत अधिक तनाव में आकर आपस में टकरा जाती हैं और एक नई संरचना में बदल जाती हैं। इस प्रक्रिया को चुंबकीय पुनर्संयोजन (Magnetic Reconnection) कहते हैं, जिससे तीव्र ऊर्जा विस्फोट होता है।
❓Q3. सौर ज्वाला और सौर तूफान में क्या अंतर है?
सौर ज्वाला एक तीव्र विद्युत-चुंबकीय विस्फोट है, जबकि सौर तूफ़ान में सौर ज्वाला के अलावा कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सौर विकिरण तूफ़ान (Solar Particle Event) भी शामिल होते हैं।
❓Q4. सौर ज्वालाओं से पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
सौर ज्वालाएँ रेडियो संचार में बाधा, जीपीएस गड़बड़ी, उपग्रहों पर विकिरणीय प्रभाव और ध्रुवीय क्षेत्रों में ऑरोरा उत्पन्न कर सकती हैं। बहुत तीव्र घटनाएँ बिजली ग्रिड को भी नुकसान पहुँचा सकती हैं।
❓Q5. क्या सौर ज्वालाएँ आँखों से देखी जा सकती हैं?
नहीं, सौर ज्वालाएँ एक्स-रे और अल्ट्रावायलेट किरणों में चमकती हैं, जिन्हें सामान्य आँखों से देखा नहीं जा सकता। सूर्य को बिना सुरक्षा फ़िल्टर के देखना खतरनाक है।
❓Q6. सबसे शक्तिशाली ज्ञात सौर ज्वाला कौन-सी रही है?
1859
में हुई "कारिंग्टन घटना (Carrington Event)" अब तक की सबसे शक्तिशाली सौर
ज्वाला मानी जाती है। इसने टेलीग्राफ सिस्टम को जला दिया था और ऑरोरा को भूमध्यरेखा
तक देखा गया था।
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