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अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) क्या है? – निर्माण, जीवन, प्रयोग और भविष्य

🌍 अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) क्या है? – एक विस्तृत मार्गदर्शिका

परिचय:

जब भी हम रात के आकाश में कोई तेज़ी से चलती हुई "तारा-सी" चीज़ देखते हैं, तो संभव है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) हो। यह कोई सामान्य उपग्रह नहीं, बल्कि एक चलती हुई अंतरिक्ष प्रयोगशाला है, जहाँ वैज्ञानिक दिन-रात ब्रह्मांड को समझने के लिए अनुसंधान करते हैं।

ISS (International Space Station) विज्ञान, तकनीक और मानव अस्तित्व की सीमाओं को परखने का एक अद्भुत प्रयास है।


पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करता अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS)
पृथ्वी की परिक्रमा करता हुआ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS)


🛰️ ISS क्या है?

ISS (International Space Station) एक मानव-निर्मित अंतरिक्ष स्टेशन है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है और पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है। यह एक बहुराष्ट्रीय सहयोग परियोजना है, जिसमें कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियाँ शामिल हैं।

यह स्टेशन एक विशाल अंतरिक्ष प्रयोगशाला है जहाँ वैज्ञानिक गुरुत्वाकर्षण-रहित वातावरण में प्रयोग कर सकते हैं, जैसे:

  • जैविक प्रक्रियाएँ
  • चिकित्सा अनुसंधान
  • भौतिकी के सिद्धांत
  • अंतरिक्ष जीवन प्रणाली आदि

🌐 किन एजेंसियों ने मिलकर ISS बनाया?

ISS परियोजना का निर्माण और संचालन निम्नलिखित पाँच मुख्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर किया है:

एजेंसी

देश

नाम

NASA

अमेरिका

National Aeronautics and Space Administration

Roscosmos

रूस

Russian Federal Space Agency

JAXA

जापान

Japan Aerospace Exploration Agency

ESA

यूरोप

European Space Agency

CSA

कनाडा

Canadian Space Agency

 

🧱 निर्माण कैसे हुआ?

ISS का निर्माण वर्ष 1998 में शुरू हुआ।

  • 20 नवंबर 1998: पहला मॉड्यूल “Zarya” लॉन्च हुआ (रूस द्वारा)।
  • इसके बाद USA का "Unity" मॉड्यूल जोड़ा गया।
  • समय के साथ अनेक प्रयोगशालाएं, सोलर पैनल्स और रहने के मॉड्यूल जुड़े।

कुल मिलाकर इसे बनाने में 15 से अधिक देशों का योगदान रहा और यह अब तक की सबसे महंगी वैज्ञानिक परियोजना मानी जाती है – जिसकी अनुमानित लागत 150 अरब डॉलर से भी अधिक है।


🌍 ISS कैसे काम करता है?

  • ISS हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है।
  • इसमें रहने के लिए 6 अंतरिक्ष यात्रियों की जगह होती है।
  • इसमें सोलर पैनल्स से ऊर्जा मिलती है।
  • इसमें प्रेसराइज्ड मॉड्यूल्स होते हैं ताकि अंतरिक्ष यात्री बिना स्पेससूट के रह सकें।
  • अंतरिक्ष यात्री 6 महीने तक यहाँ रह सकते हैं।

🔬 ISS पर क्या-क्या रिसर्च होती है?

1.    शरीर पर माइक्रोग्रैविटी का असर

2.    पौधों की वृद्धि

3.    नई दवाओं की टेस्टिंग

4.    दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी (जैसे मंगल मिशन)

5.    माइक्रोबायोलॉजी और बायोमेडिकल अध्ययन

6.    सौर विकिरण और अंतरिक्ष पर्यावरण का अध्ययन

 

🚀 अंतरिक्ष यात्री ISS में कैसे जाते हैं?

प्रारंभ में रूस की Soyuz रॉकेट के ज़रिए ISS तक पहुँच होती थी।
अब:

  • SpaceX के Crew Dragon यान भी NASA के सहयोग से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजते हैं।
  • जापान और अन्य देशों के कार्गो शिप्स सामान पहुंचाते हैं।

👨🚀 जीवन ISS पर कैसा होता है?

1.    भोजन: विशेष प्रकार का पैकेटबंद खाना होता है।

2.    नींद: सोने के लिए वेल्क्रो से बंधे स्लीपिंग बैग का उपयोग होता है।

3.    टॉयलेट: वैक्यूम-सिस्टम आधारित होता है।

4.    व्यायाम: Bone loss से बचने के लिए रोज़ाना व्यायाम ज़रूरी है।

5.    कम्युनिकेशन: पृथ्वी से वीडियो कॉल और ईमेल संभव है।

6.    मनोरंजन: किताबें पढ़ना, फिल्में देखना, Earth की तस्वीरें लेना आम है।


🌎 कौन-कौन से देश अपने अंतरिक्ष यात्री ISS पर भेज चुके हैं?

अब तक दुनिया के कई देशों के अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर जा चुके हैं। हालांकि अधिकांश मिशन अमेरिका और रूस द्वारा संचालित होते हैं, लेकिन अन्य देशों के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों ने भी वहां कार्य किया है।

देश

अंतरिक्ष एजेंसी

अंतरिक्ष यात्रियों की संख्या

🇺🇸 अमेरिका

NASA

150+

🇷🇺 रूस

Roscosmos

50+

🇯🇵 जापान

JAXA

10+

🇨🇦 कनाडा

CSA

4

🇪🇺 यूरोप (ESA)

ESA

20+

🇫🇷 फ्रांस

CNES (ESA के माध्यम से)

3

🇩🇪 जर्मनी

DLR (ESA के माध्यम से)

5

🇮🇹 इटली

ASI (ESA के माध्यम से)

3

🇬🇧 यूके

UKSA (ESA के ज़रिए)

1 (Tim Peake)

🇧🇷 ब्राज़ील

AEB

1

🇲🇾 मलेशिया

ANGKASA (अब MYSA)

1

🇰🇿 कज़ाकिस्तान

KazCosmos

1

🇰🇷 दक्षिण कोरिया

KARI

1

🇮🇳 भारत

ISRO (फिलहाल नहीं गया, Gaganyaan भविष्य में)

0 (2025 के बाद संभावना)

 

·         भारत का अब तक कोई अंतरिक्ष यात्री ISS नहीं गया है, लेकिन ISRO द्वारा 2025 तक “गगनयान मिशन” के तहत अंतरिक्ष यात्री भेजे जाने की योजना है। भविष्य में ISS या अन्य स्टेशन पर भारतीयों की उपस्थिति की संभावना है।


🤝 क्या निजी कंपनियाँ भी अब ISS से जुड़ रही हैं?

हां, हाल के वर्षों में कई निजी कंपनियाँ भी ISS से जुड़ चुकी हैं:

1. SpaceX (USA)

·         NASA के साथ साझेदारी करके अंतरिक्ष यात्रियों को Crew Dragon से ISS तक पहुंचा रहा है।

·         पहला प्राइवेट मिशन: Inspiration4 (2021) – चार आम लोगों को ISS के पास भेजा गया।

2. Axiom Space

·         भविष्य में अपना प्राइवेट स्पेस स्टेशन बनाने की योजना।

·         Axiom ने 2022 में पहला पूरी तरह निजी मिशन ISS पर भेजा।

3. Blue Origin और Sierra Nevada Corporation भी ISS के साथ सहयोग की योजनाओं पर काम कर रहे हैं।

 

🧪 ISS पर भारत का क्या योगदान रहा है?

हालाँकि भारत का कोई अंतरिक्ष यात्री अब तक ISS पर नहीं गया है, लेकिन:

·         ISRO ने NASA और अन्य एजेंसियों के साथ कई संयुक्त प्रोजेक्ट्स में भाग लिया है।

·         भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और कम लागत वाले मिशनों ने विश्व का ध्यान खींचा है, जिससे भविष्य में भारत को भी ISS जैसी परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी मिल सकती है।


🛑 क्या ISS हमेशा के लिए चालू रहेगा?

नहीं। ISS की संचालन अवधि 2030 तक सीमित मानी जा रही है। इसके बाद:

1.    NASA और ESA Gateway Station पर फोकस करेंगे – जो चंद्रमा की कक्षा में होगा।

2.    ISS के कुछ हिस्सों को निजी कंपनियों को ट्रांसफर किया जा सकता है।

3.    SpaceX, Axiom जैसे प्राइवेट स्पेस स्टेशन भविष्य में मानव मिशनों को संभाल सकते हैं।


🛰️ ISS पर जाने की प्रक्रिया कैसी होती है?

कोई भी अंतरिक्ष यात्री जब ISS पर जाता है, तो उसे कुछ विशेष प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है:

1. Basic Training (1-2 वर्ष):

·         जीरो ग्रेविटी में जीवन

·         तकनीकी सिस्टम चलाना

·         स्पेसवॉक की तैयारी

2. Language Training:

·         सभी यात्रियों को रूसी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाएं सीखनी होती हैं, क्योंकि मॉड्यूल और उपकरण दोनों भाषाओं में होते हैं।

3. Survival Training:

·         स्पेस कैप्सूल के समुद्र या जंगल में गिरने की स्थिति में खुद को बचाने का प्रशिक्षण।

 

🧑🚀 क्या आम नागरिक भी अब ISS पर जा सकते हैं?

हां, अब ऐसा संभव हो रहा है।
कुछ उदाहरण:

नाम

देश

विवरण

Dennis Tito

अमेरिका

पहला स्पेस टूरिस्ट (2001) – रूस की Soyuz से गया

Yusaku Maezawa

जापान

अरबपति, 2021 में ISS पर 12 दिन रुके

Axiom-1 Crew

विभिन्न देश

पहला पूर्ण प्राइवेट मिशन 2022 में हुआ

 

📌 टिकट की कीमत:

·         $55 मिलियन (लगभग ₹450 करोड़) प्रति व्यक्ति – आम आदमी के लिए अभी संभव नहीं।

 

📅 अब तक के कुछ प्रमुख मिशन और उपलब्धियाँ

वर्ष

उपलब्धि

2000

पहला दीर्घकालिक मानव मिशन (Expedition 1)

2010

प्रमुख मॉड्यूल्स का जोड़ पूरा हुआ

2020

SpaceX का पहला Crew Dragon मिशन सफल

2024

NASA का Gateway प्रोजेक्ट ISS से जुड़ा होगा

 

🔮 भविष्य में ISS की भूमिका

1.    Gateway Station के लिए अनुभव साझा करना

2.    चंद्रमा और मंगल मिशनों के लिए परीक्षण स्थल

3.    International सहयोग का प्रतीक

4.    भविष्य में ISS को Private Space Station में बदलने की योजना है (SpaceX, Blue Origin जैसे निजी खिलाड़ी)


🔍 रोचक तथ्य (Fun Facts)

  • ISS का आकार फुटबॉल मैदान जितना है
  • यह एक दिन में 16 बार सूर्य उदय और सूर्यास्त देखता है
  • 200 से अधिक अंतरिक्ष यात्री अब तक ISS पर रह चुके हैं
  • इसमें 8 मील प्रति सेकंड की स्पीड से यात्रा होती है

 

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. ISS कितनी स्पीड से चलता है?
Ans: लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा।

Q2. ISS को अंतरिक्ष में कैसे ट्रैक कर सकते हैं?
Ans: NASA की वेबसाइट या ऐप “Spot The Station” से।

Q3. ISS पर कितने लोग रह सकते हैं?
Ans: आमतौर पर 6, पर अधिकतम 10 अंतरिक्ष यात्री तक जा सकते हैं।

Q4. क्या आम लोग भी ISS पर जा सकते हैं?
Ans: कुछ प्राइवेट मिशन में आम लोगों को भी भेजा गया है (उदाहरण: यूसाकु माएज़ावा)।


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