मंगलयान-2: क्या होगा भारत के दूसरे मंगल मिशन में?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जब 2013 में अपना पहला मंगल मिशन "मंगलयान" लॉन्च किया, तब पूरे विश्व ने भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को सराहा। मात्र ₹450 करोड़ की लागत में इस मिशन ने न केवल तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया, बल्कि भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में भी शामिल कर दिया, जिन्होंने पहली ही कोशिश में मंगल की कक्षा में उपग्रह स्थापित किया।
अब
भारत अपने दूसरे मंगल अभियान की तैयारी में है – जिसे मंगलयान-2 कहा जा रहा
है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस मिशन में क्या-क्या होने की संभावना है।
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| भारत के आगामी मंगलयान-2 मिशन की कल्पनात्मक झलक – मंगल ग्रह पर उतरता लैंडर, सतह पर कार्य करता रोवर, और कक्षा में घूमता ऑर्बिटर। |
🔭 मंगलयान-2 की प्रस्तावित संरचना
मंगलयान-2,
जिसे Mars Orbiter Mission-2 (MOM-2) भी कहा जाता है, एक और ऑर्बिटर मिशन
होगा। ISRO की योजना इसे 2025 या उसके बाद लॉन्च करने की है। इसकी संरचना में पहले
की तुलना में अधिक उन्नत उपकरण और प्रयोग होंगे:
संभावित घटक:
- उन्नत ऑर्बिटर: जिसमें उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे
और वैज्ञानिक उपकरण होंगे।
- संभावित लैंडर/रोवर: हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई
है, परंतु ISRO लैंडर भेजने की संभावना पर विचार कर रहा है।
- स्वदेशी तकनीक: अधिक से अधिक उपकरण भारत में ही
विकसित किए जा रहे हैं।
🚀 मिशन के उद्देश्य
मंगलयान-2
केवल एक तकनीकी मिशन नहीं होगा, बल्कि यह कई वैज्ञानिक उद्देश्यों की पूर्ति
करेगा:
- मंगल के मौसम और जलवायु का
अध्ययन
- मंगल की सतह की संरचना और खनिजों
का विश्लेषण
- मंगल के वातावरण में मीथेन गैस
की जांच
– जिससे एलियन जीवन की संभावना का आकलन किया जा सकता है
- सौर विकिरण का प्रभाव
- पृथ्वी और मंगल के बीच संचार प्रणाली की परीक्षण
🔬 कौन-कौन से उपकरण हो सकते हैं?
ISRO ने
मंगलयान-2 में कई नए वैज्ञानिक उपकरण शामिल करने की योजना बनाई है:
- Hyperspectral Camera
- Thermal Infrared Spectrometer
- Magnetometer
- High Resolution Panchromatic
Camera
- Mass Spectrometer
इन सभी उपकरणों का उद्देश्य मंगल ग्रह की सतह और वातावरण की और गहराई से जांच करना होगा।
🧑🚀 मिशन से जुड़े वैज्ञानिक और इंजीनियर
ISRO का हर
मिशन एक टीम प्रयास होता है, जिसमें सैकड़ों वैज्ञानिक, इंजीनियर, और तकनीकी
विशेषज्ञ दिन-रात मेहनत करते हैं। मंगलयान-2 से जुड़े कुछ प्रमुख संस्थानों और
वैज्ञानिकों की भूमिका उल्लेखनीय रहेगी:
प्रमुख संस्थान:
- UR Rao Satellite Centre (URSC),
Bengaluru
– उपग्रह निर्माण
- ISRO Satellite Tracking Centre
(ISTRAC)
– ट्रैकिंग और डेटा विश्लेषण
- Liquid Propulsion Systems Centre (LPSC) – इंजन और प्रणोदन प्रणाली
प्रमुख वैज्ञानिक:
हालांकि इस मिशन की लीड टीम की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ की निगरानी में यह मिशन विकसित हो रहा है। मंगलयान-1 में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिला वैज्ञानिक जैसे कि रितु करिधाल, नंदिनी हरिनाथ और अनुराधा टी.के. को फिर से इस प्रोजेक्ट में सक्रिय भूमिका में देखा जा सकता है।
🌌 ISRO की अंतरिक्ष यात्रा में अगला कदम
मंगलयान-2,
भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक और ऐतिहासिक अध्याय जोड़ेगा। इसके साथ ही
भारत भविष्य में:
- मून मिशन (चंद्रयान-3)
- मानव अंतरिक्ष उड़ान (गगनयान)
- शुक्र ग्रह मिशन (शुक्रयान)
जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों की ओर भी बढ़ रहा है।
🌍 वैश्विक तुलना: ISRO बनाम NASA/ESA
मंगल के मिशन में अब तक NASA और ESA का वर्चस्व रहा है, लेकिन भारत ने सीमित बजट में जो सफलता पाई है, वह बाकी देशों के लिए भी प्रेरणा है। मंगलयान-2 से भारत फिर से यह दिखा सकता है कि वैज्ञानिक दृढ़ता और नवाचार के साथ अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूना संभव है।
निष्कर्ष:
मंगलयान-2 सिर्फ एक मिशन नहीं है, बल्कि भारत के वैज्ञानिक आत्मविश्वास और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की अगली छलांग है। यह मिशन न केवल हमारे अंतरिक्ष विज्ञान को और मजबूत करेगा, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रेरणा देगा।
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📌 FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1.
मंगलयान-2 क्या है?
मंगलयान-2, जिसे Mars Orbiter Mission-2 (MOM-2) कहा जाता है, ISRO का प्रस्तावित दूसरा
मंगल मिशन है, जिसे 2025 के बाद लॉन्च किया जा सकता है। इसमें एक उन्नत ऑर्बिटर
शामिल होगा।
Q2.
क्या मंगलयान-2 में लैंडर और रोवर होंगे?
ISRO लैंडर और रोवर शामिल करने की संभावना पर विचार कर रहा है, लेकिन अभी तक इसकी
आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
Q3.
मंगलयान-2 के उद्देश्य क्या हैं?
मंगल की जलवायु, सतह, खनिज, वातावरण में मीथेन की उपस्थिति और सौर विकिरण का
अध्ययन इस मिशन के मुख्य उद्देश्य हैं।
Q4.
मंगलयान-2 में कौन से वैज्ञानिक उपकरण होंगे?
मंगलयान-2 में Hyperspectral Camera, Thermal Infrared Spectrometer, Magnetometer,
High Resolution Panchromatic Camera और Mass Spectrometer जैसे उन्नत वैज्ञानिक
उपकरण शामिल हो सकते हैं।
Q5.
मंगलयान-2 की लीड टीम में कौन-कौन हो सकते हैं?
यह मिशन ISRO चेयरमैन एस. सोमनाथ के नेतृत्व में विकसित हो रहा है। साथ ही रितु
करिधाल, नंदिनी हरिनाथ जैसी महिला वैज्ञानिकों की भूमिका भी इसमें संभावित मानी जा
रही है।
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